05-03-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन

``अब चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है इसलिए अपने विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करो, मन्सा सेवा बढ़ाओ, बाप के संग के रंग से डबल होली बनो’’

आज बापदादा हर बच्चे के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। मस्तक में चमकते हुए सितारे की रेखा, नयनों में स्नेह और शक्ति की रेखा, होठों में मुस्कान की रेखा, पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। आप सभी भी अपने भाग्य की रेखायें देख हर्षित होते हो ना! दिल में यही गाते वाह मेरा भाग्य! हर एक का मस्तक उस दिव्य सितारे से चमकता हुआ देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं और यही दिल में गीत गाते वाह बच्चे वाह! बच्चों के दिल से क्या गीत सुन रहे हैं? वाह बाबा वाह! तो बच्चे भी वाह! बाप भी वाह! तो यह सारी सभा क्या हो गई? वाह! वाह! वाह! तो अपने भाग्य को देख सदा ऐसे ही हर्षित रहो जैसे अभी सब हर्षित हो रहे हैं। यह भाग्य अब संगमयुग में ही मिलता है। संगमयुग के हर घड़ी की बहुत बड़ी वैल्यु है। संगमयुग की एक घड़ी अविनाशी हो जाती है क्योंकि हर घड़ी का 21 जन्मों के साथ सम्बन्ध है। अब की एक घड़ी का सन्बन्ध 21 जन्मों के साथ है। तो चेक करो एक घड़ी अगर व्यर्थ गई तो एक जन्म की बात नहीं 21 जन्म के सम्बन्ध की बात है इसलिए बापदादा बच्चों को समय प्रति समय अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि संगमयुग की एक घड़ी को भी एक संकल्प को भी व्यर्थ नहीं गवाओ क्योंकि एक जन्म व्यर्थ नहीं गंवाया लेकिन 21 जन्म में व्यर्थ गंवाया। संगमयुग का महत्व हर समय याद रखो।

बापदादा ने व्यर्थ समय और व्यर्थ संकल्प का होमवर्क सभी को दिया था। तो सभी ने होमवर्क किया? जो समझते हैं हमारा अटेन्शन रहा और बहुत करके सफलता भी प्राप्त हुई, लक्ष्य का लक्षण तक परिणाम है, वह हाथ उठाना। अच्छा। पाण्डव उठा रहे हैं? बड़ा हाथ उठाओ। अभी सभी ने काम नहीं किया है। संगमयुग के महत्व को अगर सदा बुद्धि में याद रखो कि अविनाशी बाप द्वारा यह कार्य मिला है। हर घड़ी अविनाशी बनने की है क्योंकि अविनाशी बाप ने यह वरदान दिया है। तो सहज ही हो जायेगा।

बाप ने सुनाया कि हर एक ब्राह्मण बच्चे के कदम में पदम की रेखा है। सोचो कदम में पदम की रेखा तो कितने पदमों के लिए संगमयुग पर गोल्डन चांस है। हर एक को यह अपना भाग्य स्मृति में रखना है। कई बच्चे सोचते हैं कि बापदादा क्या चाहते हैं? बापदादा यही चाहते हैं कि एक-एक बच्चा डबल राजा बन जाये। अभी स्वराज्य अधिकारी और भविष्य में विश्व राज्य अधिकारी। कोई भी बच्चा डबल राजा बनने में कम नहीं हो। तो हर एक बच्चा डबल राज्य अधिकारी हो ना! कांध हिलाओ। तो हर बच्चा डबल राज्य अधिकारी है, कांध हिलाओ। तो बाप को कितनी खुशी होती है।

बापदादा हर बच्चे का रिकार्ड रोज़ देखते हैं। तो क्या देखते हैं? हर एक अपने दिल में तो जान गये होंगे। राज्य अधिकारी बने तो हैं लेकिन अभी जो स्वराज्य अधिकारी हो, स्वराज्य अधिकारी अर्थात् मन-बुद्धि संस्कार को अपने कन्ट्रोल में चलाने वाला। जब चाहे जैसे चाहे वैसे अधिकार में रहे। जैसे यह स्थूल कर्मेन्द्रियां हाथ हैं, पांव हैं अपने कन्ट्रोल में रहते हैं ऐसे मन बुद्धि संस्कार जब चाहे जैसे चाहे रूलिंग पावर और कन्ट्रोलिंग पावर हो। अभी देखने में नम्बरवार बहुत हैं। हैं यह भी मेरे। मन मैं नहीं है, मेरा है। संस्कार मेरे हैं। बुद्धि मेरी है। तो कन्ट्रोलिंग पावर रूलिंग पावर नम्बरवार है। बापदादा समय की सूचना भी समय प्रति समय देते रहे हैं, उस समय के अनुसार आप लोगों का एक-एक का स्वमान है विश्व कल्याणकारी। अब समय प्रमाण हर एक बच्चे को विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करने का समय है। चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है। आपके भाई आपकी बहिनें, परिवार दु:खी हो रहे हैं तो आपको अपने परिवार पर रहम नहीं आता!

अभी बापदादा यही इशारा दे रहे हैं स्व पुरूषार्थ के साथ विश्व सेवा जैसे वाचा की सेवा वर्तमान समय अच्छी धूमधाम से कर रहे हो। बापदादा खुश है, यह 75 वर्ष की जुबली ने सभी के मन में मैजारिटी सेवा का उमंग लाया है। बापदादा देख करके खुश है लेकिन अभी मन्सा सेवा की भी आवश्यकता है क्योंकि सभी तरफ विश्व कल्याणकारी बनना है उसमें मन्सा वाचा और कर्मणा अर्थात् चलन और चेहरे से तीनों ही सेवा की अभी आवश्यकता है। रोज़ चेक करो तीनों सेवाओं में कितनी परसेन्ट सेवा की? वाचा में तो बापदादा ने भी सर्टीफिकेट दिया लेकिन अभी मन्सा सूक्ष्म वायबे्रशन्स द्वारा आत्माओं के दु:ख अशान्ति का सहारा बनना पड़े। क्या आपको तरस नहीं आता? बापदादा को तो बच्चों पर चाहे कैसे भी हैं लेकिन फिर भी बच्चे तो हैं ना, तरस आता है। तो अभी हर बच्चे को सिर्फ सेन्टर कल्याणी नहीं, ज़ोन कल्याणी नहीं विश्व कल्याणी बनना है। तो बापदादा अभी यही अटेन्शन दिला रहे हैं अपने भक्तों का कल्याणकारी बनो क्योंकि यह संगमयुग का बहुत बड़ा महत्व है। अभी संगमयुग में जो चाहे जितना चाहे उतना बाप से सहयोग मिल सकता है। तो सुना क्या करना है अभी? मन्सा सेवा को बढ़ाओ। अपने कार्य के प्रमाण जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल का टाइम फिक्स किया हुआ है ऐसे ही हर एक को मन्सा सेवा का भी टाइम फिक्स करना चाहिए। जब ज्यादा दु:ख होगा उस समय सभी का अटेन्शन उस हलचल में होगा लेकिन अभी मन्सा सेवा का समय है इसलिए हर बच्चे को अपने विश्व कल्याणी का स्वरूप इमर्ज करना है। विश्व कल्याण में स्व कल्याण स्वत: और सहज हो जायेगा क्योंकि अगर मन फ्री है तो व्यर्थ आता है लेकिन मन बिजी होगा तो व्यर्थ सहज ही समाप्त हो जायेगा। तो बापदादा जब चक्र लगाके चारों ओर देश विदेश के अज्ञानी बच्चों को देखते हैं तो तरस आता है इसलिए आप सब भी अब दु:ख हर्ता सुख कर्ता बनो।

आज तो सभी होली मनाने आये हैं। दुनिया वालों की होली और आपकी होली में कितना अन्तर है। लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा कि आपके भक्त आप लोगों के किये हुए कार्य को कॉपी करने में होशियार हैं क्योंकि यह सब विधियां द्वापर में आने वाली आत्माओं ने बनाई हैं। तो पहला पहला जन्म था ना इसलिए उन्हों की बुद्धि भी जैसे नियम है पहले सतोप्रधान फिर रजो तमो में आते हैं, तो उस समय उन्हों की बुद्धि अपने हिसाब से सतो थी इसलिए आपकी एक-एक विशेषता को, आप सदा उत्साह में खुशी में रहते हो उसको उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया है। जैसे शिवरात्रि पर भी बताया ना कॉपी करने में कितने होशियार हैं। ऐसे अभी भी आप सदा संगम पर उत्साह में रहते हो तो आपका उत्साह उन्होंने उत्सव के रूप में यादगार बनाया है। तो होली में क्या करते हैं? आपने भी अपने जीवन को रंगा है लेकिन आपका रंग कौन सा है? आप सभी का रंग है बाप के संग का रंग। तो सारा समय बाप के संग के रंग में रहते हो ना! तो उन्होंने भी रंग तो बनाया लेकिन बॉडी कान्सेस है ना! तो स्थूल रंग बना दिया है। लेकिन आप सभी सदा यह कल्याणकारी संगम में इस रंग में, संग के रंग में रहते हो ना! रंग लगाया है ना! संग का रंग लग गया और होली इंगलिश में पवित्रता को कहा जाता है। तो संग के रंग में आप होली अर्थात् पवित्र बनते हो। पवित्र बने हैं ना! पवित्रता का व्रत सभी ने लिया है ना पक्का! नम्बरवार भले हैं लेकिन ब्राह्मण बनना अर्थात् पवित्रता का व्रत लेना क्योंकि बाप सदा पवित्र है। है ही पवित्र स्वरूप। बनना नहीं पड़ता। स्वरूप ही पवित्रता है। तो होली की विशेषता जानते हो क्या है? पवित्र तो आप बनते हो लेकिन आप संग के रंग में डबल पवित्र बनते हो। पवित्र धर्म पितायें, महान आत्मायें बनते हैं लेकिन वह सिर्फ आत्मा को पवित्र बनाते हैं। शरीर और आत्मा दोनों ही पवित्र वह आप भविष्य में बनते हो। शुरू से लेके देखो द्वापर से जो भी आये हैं पवित्र बने हैं लेकिन डबल पवित्र कोई नहीं बना है। शरीर भी पवित्र आत्मा भी पवित्र। आप जब भविष्य में राज्य अधिकारी बनेंगे तो आत्मा और शरीर दोनों पवित्र होंगे। सारा चक्र घूमो। द्वापर से आये हैं, द्वापर से अब तक देखो, कोई डबल पवित्र बना है! तो क्यों आप डबल पवित्र, इतने महान बने हैं? क्योंकि आपको रंग कौनसा लगा है? परमात्मा के संग का रंग लगा है। तो जैसे परम आत्मा पवित्र है तो आप भी 21 जन्म डबल पवित्र रहते हो। चाहे धर्मपिता आये लेकिन वह भी डबल पवित्र नहीं। आपका भाग्य है क्योंकि आप रहते ही परमात्मा के संग में हो। संग का रंग इतना पक्का रहता है जो डबल पवित्र बन जाते हो। और होली का दूसरा अर्थ है हो ली। हो गया, जो बीता सो बीता। हो ली। तो हो ली करना आता है? जो हो चुका वह हो चुका। हो ली शब्द का अर्थ क्या निकलता? बीती सो बीती। इससे आप डबल होली 21 जन्म रहते हो। एक जन्म नहीं क्योंकि संगम के एक एक सेकण्ड का कनेक्शन 21 जन्मों का है। यहाँ आपने अगर एक सेकण्ड या एक मिनट सफल किया तो 21 जन्म आपका सफल रहेगा। गैरन्टी है। तो ऐसी होली मनाई है? होली करना आता है? जो बीता वह बीत गया, हो ली। और तीसरी रूप रेखा क्या करते हैं? पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं। तो आपने क्या किया? योग अग्नि से अपने कमज़ोरियों को, संस्कारों को जो अनेक जन्मों के उल्टे संस्कार हैं उसको योग अग्नि से जलाया है ना! जलाया है कि अभी भी जला रहे हैं? जलाया है? जो समझते हैं हमने योग अग्नि से अपने पहले के संस्कार जलाया है, जल गये वह हाथ उठाओ। जल गये कि अभी भी आते हैं? थोड़ा-थोड़ा तो आते हैं? बापदादा के पास जब अपना चार्ट भेजते हैं ना तो कहते हैं बहुत तो चले गये, चतुर हैं ना कहने में। कहते हैं बहुत तो खत्म हो गये, कभी-कभी थोड़ा इमर्ज हो जाता है। लेकिन जलना माना जलना। जलने के बाद नाम निशान ही नहीं रहता। मारने के बाद शरीर का यादगार तो दिखाई देता है, लेकिन जलने के बाद समाप्त हो जाता है। जैसे रावण को भी देखो सिर्फ मारा नहीं जलाया भी। जो बिल्कुल नाम निशान खत्म। तो आप भी सब अपने को नोट करो संस्कारों को मारा है या जलाया है? भस्म किया है? पुराने संस्कार को अगर जलाया नहीं, तो बीच-बीच में इमर्ज हो जाते हैं। लेकिन भक्तों ने कॉपी सब की है। आप जलाते हो वह भी जलाते हैं फिर मनाते हैं। बिना जलाने के मनाते नहीं हैं। तो आप तो संस्कारों को जलाते हुए होली बन गये हो। कोई बन रहे हो, कोई बन गये हो। तो आपने होली मनाई? बाप के संग के रंग की। अभी संग में बैठे हो ना तो संग के रंग की होली मना ली ना! मनाई? हाथ उठाओ। मना ली। होली मनाना अर्थात् होली बनना, पवित्र बनना। जैसे बाप वैसे बच्चे हैं। अगर मानों आपका कोई संस्कार जो जला नहीं है, इमर्ज हो जाता है तो अच्छा लगता है? संकल्प आता है ना कि अभी तीव्र पुरूषार्थ से इसको जलाना ही है। मारना नहीं है, क्या है कोई-कोई संस्कार को मारा है, तो मरे हुए में कभी जान फिर से आ जाती है। अगर जला दो तो फिर कभी नहीं आयेगा।

तो आज जलाना है या मारा हुआ ही ठीक है? जलाने की शक्ति है? है शक्ति? संकल्प कर सकते हैं? कई कहते हैं बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना। बहुत मीठी मीठी रूहरिहान करते हैं, कहते हैं बाबा हमने तो बहुत कोशिश की, फिर फिर आ जाता है। चाहता नहीं हूँ लेकिन आ जाता है। कारण पता है? जलाते हो, बापदादा देखते हैं, पुरूषार्थ बहुत करते हैं लेकिन पुरूषार्थ के साथ दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। दृढ़ता सफलता की चाबी है। जो दृढ़ संकल्प किया जाता है, दृढ़ का अर्थ ही है फिर वापस नहीं आयेगा। फिर पता है बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं। जब फिर आ जाता है ना तो क्या कहते हैं? रूहरिहान तो सभी करते हैं ना! बहुत मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं चाहते तो नहीं है, आ जाता है। तो शक्ति कम है ना! दृढ़ता कम है ना! दृढ़ संकल्पधारी बनो। करना ही है। और उस दृढ़ संकल्प को रोज़ चेक करो किस कारण से फिर दृढ़ता में कमज़ोरी आई? और उस सरकमस्टांश के ऊपर विशेष अटेन्शन देते रहो कि यह फिर से नहीं आवे। मास्टर सर्वशक्तिवान के सीट पर बैठके उस संकल्प को, संस्कार को समाप्त करो। कई बच्चे कहते हैं कि हम कई बार अनुभव करते हैं कि कभी-कभी जब कोई शक्ति चाहते हैं ना तो उस समय पर वो शक्ति नहीं आती। वैसे शक्ति है लेकिन समय पर कभी शक्ति को इमर्ज करते हैं ना तो भी नहीं आती। है मास्टर सर्वशक्तिमान। टाइटिल क्या है आपका? मास्टर सर्वशक्तिमान और कहते क्या हैं? शक्ति समय पर नहीं आती। कारण? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर सेट नहीं होते। अभी दफ्तर में भी जाओ तो जो करने वाले को अथॉरिटी होगी वह आर्डर करेगा तो मानते हैं ना। ऐसा दूसरा कोई कहे तो मानेंगे क्या? तो आपकी सीट है मास्टर सर्वशक्तिमान। उस सीट पर सेट नहीं होते तो आवाह््न करते भी शक्ति समय पर नहीं आती। इसके लिए बापदादा ने बार-बार कहा है अपने मन को बिजी रखो। कभी किस शक्ति को सारे दिन में इमर्ज रखो। कभी किसी शक्ति को इमर्ज करके देखो कि उसकी ताकत क्या है? ऐसे अनुभव करते रहेंगे, अपनी सीट पर सेट रहेंगे तो शक्ति आपके आगे सदा जी हाजिर होगी। आपकी शक्ति है ना! तो होली मनाई? आप तो सदा होली मनाते रहते। सदा बाप के संग का रंग लगाते ही रहते। रंग में रंगे हुए हैं ना? अच्छा।

बापदादा का जो कार्य मिला है, उस कार्य को अगर कोई ने अभी तक नहीं भी किया है तो बापदादा विशेष एक सप्ताह देते हैं एकस्ट्रा। जो डेट है वह तो है लेकिन एक सप्ताह एकस्ट्रा देते हैं कि इस होमवर्क को पूरा करना ही है। हो सकता है? हो सकता है? हाथ उठाओ। करना पड़ेगा हाथ उठाया। हाथ ऐसा अच्छा उठाते हो जो बापदादा खुश हो जाता है लेकिन करना ही है क्योंकि अभी समय की गति को देख रहे हो। और बापदादा तो बहुत समय से अचानक की वारानिंग दे रहे हैं इसलिए अभी बापदादा हर बच्चे को एक स्वमान देते हैं - हर बच्चा दृढ़ संकल्पधारी विशेष आत्मा बनो। संकल्प किया और हुआ, इसको कहा जाता है दृढ़ संकल्प। कहते हैं दृढ़ संकल्प किया लेकिन दृढ़ता माना ही सफलता। अगर सफलता नहीं है तो दृढ़ता नहीं कहेंगे। तो अभी दृढ़ता भव! यह अपना विशेष स्वमान रोज़ अमृतवेले स्मृति में लाना और उस विधि पूर्वक आगे बढ़ना। अभी दो टर्न हैं, इन दो टर्न में क्या करेंगे? क्या करेंगे? बोलो। पहली लाइन बोलो क्या करेंगे? करना ही है। करेंगे नहीं, करना ही है। बहुतकाल का बाप समान बनना, बहुत समय की प्राप्ति है। संगमयुग का समय बहुत प्यारा है, एक सेकण्ड नहीं है एक सेकण्ड एक वर्ष की प्राप्ति समान है इसलिए बापदादा कहते ही रहते हैं एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये। समर्थ बनो और समर्थ बनाओ। ठीक है ना! ठीक है टीचर्स। टीचर्स कांध हिला रही हैं।

बापदादा का टीचर्स के ऊपर बहुत प्यार है। है तो सभी बच्चों के ऊपर फिर भी टीचर्स जिम्मेवार हैं ना! बापदादा की दिल को पूर्ण करने वाली कौन? कौन? कहो हम टीचर्स। हाथ उठाओ। हाँ देखो कितनी टीचर्स हैं? अरे वाह! अच्छा। होली भी मनाई अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न राजस्थान का है:- छोटा नहीं है, बड़ा है राजस्थान। आप कहो राजस्थान तो आबू का कमरा है। तो आबू बड़ा है ना उसका कमरा है तो बड़ा ही होगा ना। बापदादा राजस्थान पर खुश है क्योंकि राजस्थान में बचपन से जो वहाँ निकली वह अभी तक अमर हैं। सेवा में अमर हैं। शरीर में नहीं, सेवा में। और राजस्थान ने पहले-पहले आदि में वारिस क्वालिटी निकाली। जो बापदादा को उन वारिस क्वालिटी का दृष्टान्त देने में सहज था और जैसे गुजरात नजदीक है, ऐसे राजस्थान तो आबू का बड़ा कमरा है। जब भी बुलायें तो क्या कहेंगे? हाज़िर। जी हाँ हाज़िर। बापदादा हर ज़ोन की विशेषता देख रहे हैं और यह जो सिस्टम बनाई है वह बहुत अच्छी बनाई है। किसने बनाई? मुन्नी ने। (दादी जी ने बनाई) दादी तो थी ही दादी। लेकिन जो भी महारथी गये हैं उनकी विशेषता यह है अमृतवेले हाज़िर हो जाते हैं। अमृतवेले का मिलन छोड़ा नहीं है। जैसे यहाँ भी नियम में चलके चलाया। कहने से नहीं, चलके चलाया, ऐसे ही सभी को उमंग उत्साह में लाया। तो यह सिस्टम भी बहुत अच्छी है। आप सबको पसन्द है ना। चांस है। अभी देखो पहले बारी जो आये हैं राजस्थान से, वह हाथ उठाओ। जो पहले बारी मधुबन में आये हैं राजस्थान के, वह हाथ उठाओ। अच्छा चांस है। इतनी संख्या राजस्थान की, वैसे तो आपको लिस्ट अनुसार आना होता है लेकिन अभी फ्रीडम है, सेवाधारियों को चांस मिलता है इसलिए बापदादा दादी को मुबारक दे, या आप सबको मुबारक दे। दादी ने बनाया आप लोग प्रैक्टिकल में आ रहे हैं इसके लिए आपको भी मुबारक। अच्छा।

अभी राजस्थान एक कमाल करना। नम्बर पहले वारिस क्वालिटी बाबा के सामने लाना। बापदादा ने देखा कि सभी वर्गों ने अपने-अपने सम्पर्क वालों की मैजारिटी लिस्ट दी है। लेकिन सहयोगी तो हैं अब आगे क्या करेंगे? सहयोगियों को यज्ञ स्नेही बनाओ। जब यज्ञ स्नेही बनेंगे तो हर कार्य में सभी सहयोगी बनेंगे। लिस्ट बड़ी अच्छी-अच्छी लिखी है। मैजारिटी समय प्रति समय लिस्ट देते रहे हैं। मैजारिटी लिस्ट अच्छी है अभी भी दो चार वर्ग की लिस्ट आई है आज भी। लेकिन अब स्नेही बनाओ अर्थात् हम यज्ञ के ही हैं ऐसे पक्के निश्चयबुद्धि बनाओ। सहयोगी हैं उसमें तो कहेंगे हम हैं ही सहयोगी, लेकिन स्नेही जो भी यज्ञ के नियम कार्य हैं उसमें स्नेही बनेंगे। वर्ग वालों ने कार्य अच्छा किया है। बापदादा ने वर्ग वालों को भी मुबारक दी है। राजस्थान माना राजा बनके राजा बनाने वाले। प्रजा नहीं राजा बनाने वाले। राजस्थान है ना, तो कमाल करेगा ना राजस्थान।

दो विंग्स आई हैं - मेडिकल विंग और ट्रांसपोर्ट विंग:- मुबारक हो। बापदादा ने देखा जो भी वर्ग बनी हैं वह अपने अपने क्षेत्र में कार्य अच्छा कर रही हैं। अभी दोनों विंग ने भी अपनी लिस्ट भेजी है। बापदादा ने देखी और मुबारक देरहे हैं कि अच्छे-अच्छे सम्बन्ध-सम्पर्क में आये हैं। लेकिन बापदादा ने समय के प्रमाण आज यह भी कहा कि सहयोगी है लेकिन अब यज्ञ स्नेही बनाओ। वारिस क्वालिटी बनाओ। जो भी सहयोगी हैं उन्हों को अपने ज़ोन में, बापदादा ने पहले भी कहा है लिस्ट तो आई है अच्छा है लेकिन हर एक ज़ोन एक-एक वर्ग को अपने भिन्न-भिन्न स्थान के सहयोगी या स्नेही आत्माओं को इकठ्ठा करो। तीन दिन का उनको सम्पर्क में लाओ, रहें, मीटिंग करें और आगे के प्रोग्राम बनायें। तो हर ज़ोन जहाँ भी उनके हैं, सभी ज़ोन से कोई बड़े स्थान पर जहाँ भी ज़ोन में हो, सहयोगियों को इकठ्ठा करके उनकी मीटिंग करो और उन्हों को विशेष एक बल भरो और आगे बढ़ने का। जो अब तक किया उसकी मुबारक दो और आगे बढ़ने का प्लैन बनाके दो क्योंकि उन्हों को भी आगे बढ़ने की विधि सुनानी पड़ेगी। तो सभी ज़ोन मिलके एक-एक वर्ग का जहाँ विशेष स्थान है वहाँ इकठ्ठा करो। फिर देखेंगे उस संगठन में कितने आते हैं, क्या आगे चाहते हैं? ऐसे सम्पर्क में लायेंगे तो वारिस बन जायेंगे। बाकी इन दोनों वर्ग जो खड़े हुए हैं उनकी भी बापदादा ने भी रिजल्ट देखी, अच्छी है इसलिए बापदादा दोनों ही वर्गों को मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा ने पहले भी कहा है अब समय नाजुक आया कि आया इसलिए अभी कम से कम सम्पर्क वालों को यज्ञ स्नेही तो बनाओ। डाक्टर्स का भी समाचार सुना। अच्छा कर रहे हैं। लेकिन अभी डाक्टर्स और भी अपने डाक्टर्स की संख्या को स्नेही सहयोगी बनाते जाओ। प्लैन अच्छा बनाया है, बापदादा ने सुना है। उससे वृद्धि हो सकती है। नाम फैल सकता है और दूसरी विंग वाले भी अच्छा चारों ओर जो वी.आई.पी निकाले हैं उससे सिद्ध होता है कि कनेक्शन अच्छे रखे हैं। अब कनेक्शन वालों को सम्बन्ध में लाओ। रह नहीं जावे। समय समाप्ति का आवे और सहयोगी के सहयोगी रह जाये, इसलिए अब सम्बन्ध में लाओ। समीप सम्बन्ध में लाओ। बापदादा ने देखा कि जब से वर्ग बने हैं, तब से सेवा चारों ओर फैली अच्छी है। साधन अच्छा बनाते हैं लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को भी कहते हैं अभी वारिस बनाने की विधि को थोड़ा और तीव्र करो। नहीं तो उल्हना मिलेगा। हम सहयोगी रह गये। आप प्लैन जरूर बनाओ फिर जिसका जो भाग्य होगा। और निकल सकते हैं बापदादा ने लिस्ट देखी सभी अपने-अपने समय पर लिस्ट देते हैं तो लिस्ट अनुसार समीप हैं, इनमें से निकल सकते हैं। अभी यह कोशिश करो। अच्छा।

(मेडिकल विंग सिल्वर जुबिली मना रही है, उसमें 8 ग्रुप सेवा के बनाये हैं) अच्छा है बनाया है। आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

डबल विदेशी 1000 आये हैं, 65 देशों से:- सभी देखो, आपको देख करके सब कितने खुश हो रहे हैं। बाप ने कहाँ-कहाँ से 65 देशों से ढूंढकर निकाला है। आप सबको भी खुशी और नशा है ना तो हमको बाप ने ढूंढ लिया। और बापदादा ने देखा इस बारी सभी ने मिलके जो निमित्त बने हैं, उन सबने बहुत बहुत बहुत अच्छी निमित्त बनने की सेवा की है। बापदादा एक-एक का नाम नहीं लेते लेकिन जो भी निमित्त बनें उन्होंने सेवा में सफलता सबके दिलों में ऐसा उमंग दिलाया है जो अपने स्थान में जाके अपने स्थान को भी ऐसे ही रिफ़्रेश करेंगे। तो जो सेवा के निमित्त बनें उनको बापदादा बहुत बहुत मुबारक दे रहे हैं। सिस्टम भी अच्छी बनाई है और जनक बच्ची ने तो सभी को दिल में उमंग और उत्साह एकस्ट्रा भर लिया। हर एक का चेहरा दिखाई दे रहा है कि जो शक्ति इकट्ठी की वह चेहरे पर आ रही है। सबके चेहरे खुशनुमा दिखाई दे रहे हैं और अभी जो भारत और विदेश मिलके सेवा की है, उसकी रिजल्ट भी अच्छी है। भारत वाले विदेशियों को प्रेरणा देंगे और विदेश वाले भारत को प्रेरणा देंगे। मिलके करने से अपने में भी उमंग आता है और सुनने वालों में भी उमंग आता है वि्ा विदेश वाले इतना कर रहे हैं, हम भारत में होते भी नहीं कर रहे हैं। फील करते हैं और भारत वाले विदेश में जाते तो वह भी फील करते हैं कि हम यहाँ रहते अपना नहीं बनाया, उमंग में आकरके आगे बढ़ते, बापदादा को यह जो प्लैन बनाया है, तीन चार प्रोग्राम मिलके बनाये हैं, बड़े-बड़े प्रोग्राम उसमें बापदादा ने देखा वायुमण्डल में फर्क पड़ता है क्योंकि सब प्रकार की आते हैं ना। क्रिश्चियन भी मुस्लिम भी, जो भी भिन्न भिन्न धर्म के हैं वह सब प्रकार के इकट्ठे देखते हैं तो समझते हैं कि सचमुच विश्व एक हो सकता है इसलिए आपकी ट्रेनिंग बापदादा को अच्छी लगी। मेहनत वालों को बापदादा खास मुबारक दे रहा है। अभी विदेश वाले भी वारिस क्वालिटी लाना क्योंकि समय अचानक का है। तो जितने भी आत्माओं का कल्याण कर सको, जितना कर सको उतना करते जाओ फिर समय नहीं मिलेगा। अभी समय है, कम से कम बाप का घर तो देख लें। बाप का परिचय तो ले लें। तरस आता है ना! तो बहुत अच्छा कर भी रहे हैं लेकिन बापदादा को अभी एक बात याद आ रही है कि शुरू-शुरू में भारत के अन्दर कोई वी.आई.पी लाते थे तो अखबारों में नाम पड़ता था और अखबार वाले इन्ट्रेस्ट से आते थे। गवर्मेन्ट को देखना पड़ता है वी.आई.पी को, तो गवर्मेन्ट भी प्रभावित होती है, अभी वह नहीं किया है। आप आये हो उसकी तो मुबारक। प्रोग्रम में साथी बनते हैं, यह बापदादा अच्छा मानते हैं। अब उन्हों को भी लाओ तो गवर्मेन्ट के थोड़े कान खुलें। जैसे अभी देखते हैं कि यह जो 75 वर्ष की जुबली है, इस जुबली ने भारत वालों को अच्छा जगाया है। पहले जो समझते थे ब्रह्माकुमारियां पता नहीं क्या करती हैं, अभी उन्हों के मुख से निकला है कि कमाल है ब्रह्माकुमारियों के 75 वर्ष। और दूसरी कमाल है कि यहाँ बहिनें ही निमित्त बनी हैं और बहनों ने इतना कार्य किया है, तो उन्हों को यह आश्चर्य लगता है और अभी नजदीक आने की दिल होती है। मिलें, सुनें और आपके मुख्य जो सबजेक्ट हैं, आप आत्मा हो, वह इस जुबिली के कारण सब तरफ समझते हैं कि आत्मा समझने से यह एकमत हो सकते हैं। तो जैसे इस जुबिली ने कमाल की है ना, ऐसे और करते जाओ और सभी को सन्देश पहुंचाने के लिए भी जो टी.वी. और रेडियो ने सहयोग किया है, उसको भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जो घर बैठे सब देखते हैं, वैसे तो कई बहाना देते थे, चाहते हैं लेकिन टाइम नहीं है, अभी घर बैठे भी देखने से धीरे-धीरे जागते जाते हैं। तो जो भी कर रहे हो वह अच्छा हो रहा है और होता रहेगा। उसकी मुबारक हो।

बापदादा ने देखा है कि अभी सेवा का उमंग भी सभी में जाग रहा है, हम भी करें, हम भी करें। यह उमंग आया है। जब उमंग आ गया ना तो जहाँ उमंग है, उत्साह है वहाँ सफलता है ही है इसलिए जो आप सम्मुख हो उन्हों को और जो दूर बैठे देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल का प्यार और साथ में दिल में सदा रहने की मुबारक दे रहे हैं।

अभी दिल लग गई है, यहाँ आबू में रहने की दिल लग गई है! अच्छा है। विदेशियों को देखके तो परिवार भी खुश होता है। और 65 देशों से देखो किसमें आये हो? प्यार के विमान में आये हो ना।

पहली बार बहुत आये हैं:- पहली बार आने वालों को डबल मुबारक दे रहे हैं, क्यों? क्यों डबल मुबारक दे रहे हैं? क्योंकि समय के हाहाकार के पहले अपना भाग्य बना दिया। अहो प्रभु, अहो प्रभु कहने के बजाए मेरा बाबा तो कहा इसलिए बापदादा आने वालों को देख खुश है। बच्चे आ गये, आ गये, आ गये। देखो आधा क्लास तो पहले बारी का है। अभी तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। पुरूषार्थी नहीं बनना तीव्र पुरूषार्थी बनना। अभी भी अगर तीव्र पुरूषार्थ किया तो तीव्र पुरूषार्थ से आगे बढ़ सकते हो। मार्जिन तीव्र पुरूषार्थ की है। साधारण पुरूषार्थ का टाइम गया और बापदादा हर एक आने वाले बच्चों को चक्र लगाते देखते हैं, कि बच्चे आगे बढ़ रहे हैं या ढीले आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा चक्र चारों ओर लगाते हैं। आप तो चारों ओर नहीं जा सकते लेकिन बापदादा तो रोज़ चक्र लगाते हैं। बाबा के साथ जो आपके एडवांस पार्टी के विशेष गये हैं ना वह भी बापदादा के साथ चक्र पर निकलते हैं। आप लोगों को देख करके खुश होते हैं हमारे भाई, हमारी बहन आ गये, आ गये इसलिए आगे बढ़ते चलो, सारे परिवार की आपको मुबारक है। अच्छा।

आज मधुबन वालों को विशेष बापदादा एक बात की मुबारक दे रहे हैं। कौन सी बात? सभी ने अभी तक सेवा बहुत अच्छी प्यार से की है। कितना भी बड़ा परिवार आया लेकिन सेवा में निमित्त तो मधुबन वाले बनते हैं। चाहे हर ज़ोन सहयोगी बनते हैं लेकिन फिर भी जो परमानेंट रहते हैं उनके सहयोग के बिना तो नहीं कर सकते। इसलिए एक-एक मधुबन वासी सिर्फ नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भी, हॉस्पिटल भी, जिन्होंने भी सहयोग दिया है, और अथक बनके सहयोग दे रहे हैं, इसीलिए एक-एक बच्चा अपने नाम से बापदादा का यादप्यार स्वीकार करना। अच्छा। जो मधुबन वाले हैं वह उठो, जो भी बैठे हैं यहाँ। तो खास मुबारक हो। अच्छा।

चारों ओर के होलीएस्ट बच्चों को जो हर कदम में मेरा बाबा मेरा बाबा कहते हुए उड़ रहे हैं, और सदा अपने तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ाते रहते हैं ऐसे बापदादा के दिल के नूरे रत्न को बापदादा बहुत बहुत बहुत बहुत दिल का प्यार दे रहे हैं। साथ में होली की मुबारक भी दे रहे हैं क्योंकि वास्तव में आप ही होली हो और कोई डबल होली तो बनते नहीं। आप ही डबल होली बनते हो इसीलिए पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।

दादी जानकी से:- परिवार से दिल का प्यार अच्छा है। सभी खुश होते हैं। जो दिल से करते हैं ना तो खुशी होती है। अथक बनके कर रही हो, ऐसे ही चलते चलो। बापदादा तो हर बच्चे को सकाश देता है। हर बच्चे को चला रहा है और बच्चे जो बापदादा चला रहे हैं, उनका रेसपान्स भी देते हैं। अच्छा देते हैं।

मोहिनी बहन:- ठीक है, चलाने तो आ गया है। तबियत में अभी ताकत नहीं है तो थोड़ा-थोड़ा जैसे आप चला रही हो वह अच्छा चला रही हो, ऐसे चल जायेगा। ऐसे नहीं समझो नहीं चलेगा, चलेगा। लेकिन आपको तरीका आ गया है, इस पर बापदादा खुश है। (सेवा का प्रोग्राम बना, मैं जा नहीं सकी) क्योंकि पहले भी आना जाना किया। कोई भी प्रोग्राम बनाओ भले लेकिन थोड़ा समय रेस्ट करके फिर बनाओ। अभी समझ गई हो ना। सेवा करेंगी, ऐसी कोई बात नहीं है, जब जाना हो तो उसके 15 दिन पहले रेस्ट करो। जाना है, लेकिन अपने को तैयार करो, एकस्ट्रा कुछ नहीं करो। जैसे डायरेक्शन है उसी अनुसार चलो। ठीक करेंगी, निकलेंगी।

नीलू बहन भी हॉस्पिटल की यात्रा करेंगी:- हिम्मत रखी है और शक्ति भी है। है ना शक्ति। बापदादा ने दी है और आपने जमा की है। उस शक्ति से कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे ही लगेगा कुछ हुआ नहीं, कोई तकलीफ नहीं। सेवा का मेवा तो मिलेगा ना। अच्छा है।

परदादी से:- यह तो वाह! वाह! है ना। देखो अभी इसका फोटो निकालो, बीमार लगती है? बर्थ डे की मुबारक हो। यह कमाल है कि इनका चेहरा सदा ऐसे लगता है जैसे कुछ है नहीं। शक्ल सुहानी है। कहती है ना डबल बाप है, तो डबल वरदान है।

निर्वेर भाई और तीनों भाईयों से:- (कटक वालों की याद दी) सबको यादप्यार देना। सबको उमंग है, अच्छा है। आवाज तो फैलता है ना। (पुरी के महाराजा भी मधुबन आना चाहते हैं) अभी आयेंगे, बहुत आयेंगे।

आप तीनों मिलके राय करते हो? राय करना फिर दादियों को सुनाओ, पहले आपस में राय करो। यह अच्छा करते हो, जैसे आज किया है ना। ऐसे राय निकालके फिर इन्हों को साथ में सुनाओ। अच्छा करते हो।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है ना। तबियत की सम्भाल करना। हल्का नहीं छोड़ो। और सदा ऐसे समझो कि बाबा के साथ चल रहा हूँ। बाबा के साथ काम कर रहा हूँ, अकेला नहीं। (अनिला बहन की याद दी, वह हॉस्पिटल में है) उसकी तबियत थोड़ी है।

(सोनीपत की जमीन पर काम बढ़ाना है) अच्छा है, उस तरफ सेवा तो शुरू हो। बनाना प्रोग्राम अच्छा है सेवा का विस्तार हो रहा है।

भूपाल भाई से:- साक्षी होके सब यज्ञ का कार्य निमित्त बनके करते चलो। बाबा का साथ तो है ही। अकेला तो कोई कर नहीं सकता। बाप साथ है ही। अच्छा है।

मोहिनी बहन की सेवा पर जो बहने हैं, उनके प्रति बापदादा ने कहा कि, बाबा जानते हैं, देखो कोई भी सेवा करते हैं बाबा की दी हुई सेवा है। बाप ने दी है। तो पहले बाप फिर सेवा। अच्छा है।